नई दिल्ली/पटना। बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के भीतर मतभेदों की आहट सुनाई देने लगी है। केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने सोमवार को एक बार फिर नीतीश सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि अपराध पर चुप रहना उनकी जिम्मेदारी से भागने जैसा होगा। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एनडीए एकजुट है और अगला चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा।
पासवान ने दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में कहा –
“एक सहयोगी के रूप में मेरी जिम्मेदारी है कि अगर सरकार में कोई खामी है, तो उस पर चर्चा होनी चाहिए ताकि सुधार हो सके।”
यह बयान उनके दो दिन पहले दिए गए उस विवादित वक्तव्य के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि –
“मुझे शर्म महसूस हो रही है कि मैं उस सरकार का हिस्सा हूं जिसके शासन में बिहार में अपराध बेकाबू हो गया है।”
पासवान के इन बयानों ने एनडीए के भीतर असहजता पैदा की है, तो दूसरी ओर विपक्ष को एक और मौका भी दे दिया है।
विपक्ष का पलटवार: ‘यह सिर्फ़ दिखावा है’
राजद नेता प्रो. मनोज झा ने चिराग पासवान की आलोचना को “राजनीतिक स्टंट” करार देते हुए कहा –
“चिराग पासवान दोहरी बातें कर रहे हैं। एक ओर वे अपराध पर शर्मिंदा होने की बात करते हैं, दूसरी ओर फिर उसी नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा करते हैं। यह जनता को भ्रमित करने की कोशिश है।”
उन्होंने चिराग के प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से “घनिष्ठ संबंधों” की ओर इशारा करते हुए सवाल उठाया कि –
“क्या एक केंद्रीय मंत्री सिर्फ़ दिखावे के लिए सरकार पर सवाल उठा सकता है?”
राजनीतिक पृष्ठभूमि और संभावनाएं
बिहार में साल के अंत में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, और इससे पहले चिराग पासवान की यह स्थिति भाजपा के लिए रणनीतिक रूप से लाभदायक भी हो सकती है। वे नीतीश कुमार पर लोकल विपक्षी दबाव के रूप में काम कर रहे हैं, जबकि एनडीए की एकता का चेहरा भी बने हुए हैं।
गठबंधन धर्म बनाम राजनीतिक स्वायत्तता
चिराग पासवान का यह रवैया भारतीय गठबंधन राजनीति की एक पुरानी रणनीति को दर्शाता है – “एक पैर भीतर, एक बाहर।”
वे एक ओर जनता के बीच अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान बनाए रखना चाहते हैं, तो दूसरी ओर एनडीए के प्रति वफादारी दिखाकर सत्ता-साझेदारी भी सुनिश्चित करना चाहते हैं।