Chhindwara News : बस संचालकों की हड़ताल से शहर में यातायात ठप

शहर में गुरुवार से बसों का पहिया थम गया है। बुधवार शाम शहर के बस ऑपरेटरों ने सामूहिक हड़ताल का एलान कर दिया। वजह बनी शहर में बस स्टॉप तय न होने के बावजूद ट्रैफिक और परिवहन विभाग द्वारा लगातार लगाए जा रहे जुर्माने हैं। बस ऑपरेटरों का कहना है कि प्रशासनिक असमंजस का खामियाजा उन्हें और यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है।

बस ऑपरेटरों और प्रशासन के बीच बुधवार को एसडीएम सुधीर जैन की अध्यक्षता में बैठक हुई थी। उम्मीद थी कि कोई समाधान निकलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बात नहीं बनी तो बस ऑपरेटरों ने 10 जुलाई से बसें बंद करने का एलान कर दिया।

बस स्टॉप नहीं, फिर भी चालान

शहर में अभी तक कोई अधिकृत बस स्टॉप नहीं है। ऐसे में बसें सड़कों पर यात्रियों के इशारे पर रुकती थीं, लेकिन हाल ही में जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में तय हुआ कि रैंडम स्टॉपिंग पर कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस ने बस ऑपरेटरों पर चालान करना शुरू कर दिया। इससे बस ऑपरेटरों में नाराजगी है। उनका साफ कहना है कि जब तक अधिकृत बस स्टॉप तय नहीं होते, तब तक चालान करना अन्यायपूर्ण है। यह सिर्फ ऑपरेटरों के लिए नहीं, यात्रियों के लिए भी परेशानी का कारण है।

गुरुपूर्णिमा पर सबसे ज्यादा असर

गुरुवार को ही गुरुपूर्णिमा का पर्व है। जिलेभर से श्रद्धालु सौसर के जामसावरी मंदिर, सिमरिया हनुमान मंदिर और रामेश्वरम धाम जाने की तैयारी में हैं। हर साल इन स्थानों पर हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन बसों की हड़ताल ने उनकी यात्रा पर संकट खड़ा कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों से शहर और धार्मिक स्थलों की ओर जाने वालों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ेगी।

ऑपरेटरों की तीन बड़ी मांगें

1. शहर में तत्काल एक या अधिक अधिकृत बस स्टॉप तय किए जाएं।

2. जब तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं बनती, तब तक चालान की कार्रवाई रोकी जाए।

3. जनहित में प्रशासन निर्णय ले, अन्यथा हड़ताल जारी रहेगी।

मांगें पूरी नहीं होने तक रहेगी हड़ताल

बस एसोसिएशन के संरक्षक सेवक यादव, राजेश मिगलानी, अजीत पटेल, अमरीश शुक्ला और विमल शर्मा ने स्पष्ट किया है कि जब तक मांगें नहीं मानी जातीं, बस संचालन पूरी तरह बंद रहेगा।

अब सबकी नजरें प्रशासन पर

हड़ताल के पहले ही दिन जिले में आवागमन बुरी तरह प्रभावित है। आम लोगों के साथ-साथ छात्र, व्यापारी और श्रद्धालु भी परेशान हैं। सवाल ये है कि क्या प्रशासन जल्द कोई समाधान निकाल पाएगा? या जनता को इसी तरह परेशानी उठानी पड़ेगी?

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