छिंदवाड़ा | अमरवाड़ा :
अमरवाड़ा नगर में आवारा कुत्तों का आतंक अब भयावह रूप ले चुका है। बीते दो दिनों के भीतर अलग-अलग मोहल्लों में एक दर्जन से अधिक मासूम बच्चों पर आवारा कुत्तों ने हमला कर उन्हें घायल कर दिया। इनमें से कई बच्चों की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिन्हें अमरवाड़ा अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
कौन-कौन हुए शिकार?
घायल बच्चों में प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:
शौर्य जैन, हिमांशी कोचे, निहारिका, अक्सपाल, 12 वर्षीय मोहम्मद हुजैफा, कृष्णा इंगोले, नमन साहू, रविशंकर डेहरिया, प्रमोद यादव आदि।
इसके अलावा 60 वर्षीय आनंदलाल डेहरिया भी कुत्तों के हमले का शिकार हुए हैं।
अस्पताल में भर्ती, रेबीज इंजेक्शन दिए गए
बीएमओ डॉ. कुरुष ठाकुर के अनुसार,
“सोमवार को लगभग 10 बच्चों को कुत्तों ने काटा, जबकि रविवार को भी एक बच्चा घायल होकर अस्पताल पहुंचा था। सभी को प्राथमिक उपचार के साथ एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाए गए हैं।”
घटना की जानकारी नगरपालिका अमरवाड़ा के सीएमओ को भी दी गई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है।
प्रशासन की अनदेखी से नागरिक नाराज़
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि वे पहले भी कई बार नगरपालिका और प्रशासन को लिखित और मौखिक शिकायतें कर चुके हैं। लेकिन समस्या पर अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया।
शहरवासी आक्रोशित हैं।
“जब बच्चों की जान पर बन आई है, तब भी प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। हम अब और चुप नहीं रह सकते,” – एक मोहल्लेवासी ने गुस्से में कहा।
चेतावनी: आंदोलन करेंगे नागरिक
नगरवासियों ने चेतावनी दी है कि यदि अगले कुछ दिनों में आवारा कुत्तों की धरपकड़, नसबंदी या ठोस नियंत्रण की व्यवस्था नहीं की गई, तो वे सड़क पर उतरकर उग्र आंदोलन करेंगे। उनका कहना है कि ये अब केवल जानवरों की समस्या नहीं, जन-स्वास्थ्य और बच्चों की सुरक्षा का संकट बन चुकी है।
प्रशासन के लिए सवाल:
क्या नगर पालिका बच्चों की जान जाने का इंतजार कर रही है?
क्यों नहीं चल रही आवारा कुत्तों की धरपकड़ और नसबंदी मुहिम?
क्या अमरवाड़ा में जनस्वास्थ्य केवल कागजों तक सीमित है?
अमरवाड़ा की यह स्थिति केवल एक स्थानीय संकट नहीं, बल्कि पूरे राज्य में शहरी प्रबंधन की विफलता का प्रतीक बन रही है। प्रशासन को अब तत्काल हरकत में आना होगा, वरना ये असावधानी किसी बड़े हादसे को जन्म दे सकती है।