छिंदवाड़ा : 90 लाख रुपये के गबन और अदालत को गुमराह करने के संगीन मामले में लंबे समय से फरार चल रहीं साध्वी लक्ष्मी दास (असली नाम – रीना रघुवंशी) को छिंदवाड़ा पुलिस ने आखिरकार गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी नर्मदापुरम जिले के चंद्रकलां गांव से हुई, जहां साध्वी धार्मिक अनुष्ठान के बहाने छिपी हुई थी।
पुलिस की तत्परता और फिल्मी अंदाज में गिरफ्तारी
सूचना मिलने पर जब पुलिस वहां पहुंची, तो साध्वी को भनक लग गई। उसने टॉयलेट जाने का बहाना बनाकर भागने की कोशिश की और पास की नदी पार कर दूसरे गांव में छिप गई। लेकिन पुलिस ने नाव की मदद से पीछा किया और चारों ओर से घेराबंदी कर साध्वी को गिरफ्तार कर लिया।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला छिंदवाड़ा के प्रसिद्ध रामजानकी मंदिर, लोनीकलां से जुड़ा है। मंदिर के पूर्व महंत स्व. कनक बिहारी दास द्वारा घोषित ₹1 करोड़ की दानराशि में से ₹90 लाख रहस्यमय तरीके से बैंक खाते से निकाल लिए गए थे। पुलिस जांच में यह रकम साध्वी लक्ष्मी दास के खाते में स्थानांतरित होने की पुष्टि हुई है।
विशेष बात यह रही कि संबंधित बैंक खाते में कोई नामित उत्तराधिकारी (nominee) नहीं था, जिससे धोखाधड़ी की आशंका और गहरी हो गई। इस घोटाले में एक बैंक मैनेजर की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।
अदालतों से राहत नहीं मिली
साध्वी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए पहले मध्यप्रदेश हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं। हाईकोर्ट ने 19 मई को अग्रिम जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज की कि आरोपी ने तथ्यों को छुपाया और अदालत को गुमराह किया। बाद में साध्वी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए साध्वी ने पहले मध्यप्रदेश हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन दोनों जगह से उसे कोई राहत नहीं मिली। 19 मई को हाईकोर्ट ने उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए स्पष्ट कहा था कि उसने तथ्य छुपाए और अदालत को गुमराह करने की कोशिश की। बाद में सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) भी साध्वी ने खुद ही वापस ले ली थी, जिसके बाद से वह फरार चल रही थी।
अब छिंदवाड़ा पुलिस की स्पेशल टीम उसे हिरासत में लेकर वापस लौट चुकी है और मंगलवार को साध्वी को अदालत में पेश किया जाएगा। पूछताछ के दौरान यह जानने की कोशिश की जाएगी कि 90 लाख रुपये की रकम कहां और कैसे खर्च की गई। साथ ही पुलिस बैंक अधिकारियों की भूमिका और अन्य संलिप्त व्यक्तियों की जांच भी करेगी। माना जा रहा है कि यह मामला अब और भी गंभीर मोड़ ले सकता है, क्योंकि इसमें मंदिर ट्रस्ट से जुड़े कई अन्य वित्तीय दस्तावेज और लेनदेन की परतें खुलने की उम्मीद जताई जा रही है।