मध्यप्रदेश के छतरपुर से एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां भगवान हनुमान अपने घर (मंदिर) के लिए दर-दर भटक रहे हैं। बीते दिनों जिले में हुई जनसुनवाई में एक मंदिर के पुजारी हनुमानजी की मूर्ति को गोद में लेकर एसपी के सामने पहुंचे। पुजारी का कहना है कि कुछ दबंगों ने भगवान की जमीन पर कब्जा कर लिया है। वह कई बार जनसुनवाई में आ चुके हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है। इस बार वह लोडर वाहन में भगवान को लेकर जनसुनवाई में आए। लेकिन, अधिकारियों ने उनसे कहा कि भगवान ले जाओ, नहीं तो फेंक देंगे।
मंदिर की जमीन पर दंबंगों का कब्जा
पुजारी पुरुषोत्तम नायक ने बताया कि इसके पहले भी वे भगवान को गोद में लेकर कलेक्टर और एसपी के पास आवेदन दे चुके हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पुजारी ने बताया कि नौगांव तहसील के फुलवारा गांव में मंदिर की जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर रखा है। वे 2016 और 2022 में सिविल कोर्ट से केस जीत चुके हैं, लेकिन अब तक सिविल फैसले को लागू नहीं किया गया। फैसला उनके पक्ष में आने के बाद भी उन्हें जमीन पर कब्जा नहीं मिला है। इससे भगवान अभी तक मंदिर में विराजमान नहीं हो पाए हैं। उन्होंने कहा कि 2016 से ही हम भगवान को लेकर जगह-जगह भटक रहे हैं।
मेरी नहीं तो भगवान की सुन लें
पुजारी का कहना है कि अधिकारी उनकी नहीं, कम से कम भगवान की बात तो सुन लें। इसी कारण वे भगवान को लेकर जनसुनवाई में लेकर आते हैं। पुजारी का आरोप है कि वे कई सालों से आदेश का पालन कराने और कब्जा दिलाने के लिए चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन और तारीखें ही दी जा रही हैं।
एसडीएम की गलत कार्रवाई का आरोप
पुजारी का कहना है कि पिछली बार उनके आवेदन पर एडीएम ने संबंधित एसडीएम से मामले को तत्काल निपटाने का आदेश दिया था, लेकिन नौगांव की एसडीएम विशा माधवानी ने मामले की गलत जांच की और जिला प्रशासन को गुमराह कर दिया।
सीएम, पीएम और राष्ट्रपति से मिलेंगे
पुजारी का आरोप है कि जब वे भगवान को लेकर जनसुनवाई में पहुंचे तो अधिकारी उन्हें बाहर निकालने आए और कहा कि अपने भगवान को लेकर जाओ, वरना फेंक देंगे। इस घटना से पुजारी बेहद दुखी हैं। उन्होंने कहा कि वे अब भगवान को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव से मिलने भोपाल जाएंगे। अगर, वहां भी सुनवाई नहीं होती तो दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मिलेंगे।
एडीएम बोले: भगवान का मामला निपटा चुके
इस मामले को लेकर एडीएम मिलिंद नागदेवे से बात करने का प्रयास किया गया। लेकिन, वह नहीं रुके, वह जाते-जाते कह गए कि भगवान का मामला पहले ही निपटाया जा चुका है।