इन घटनाओं को रोकने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न जिलों में निगरानी और कार्रवाई की प्रक्रिया तेज कर दी है। जिला प्रशासन, पर्यावरण विभाग की संयुक्त टीमें लगातार क्षेत्र भ्रमण कर रही हैं। पर्यावरणविदों का मानना है कि पराली जलाने की जगह वैकल्पिक उपाय जैसे कि मल्चर मशीन, कंपोस्टिंग, और खेत में अवशेष दबाने जैसी तकनीकें अपनाई जानी चाहिए। प्रशासन द्वारा भी किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान शुरू किए गए हैं। साथ ही प्रशासन लाउड स्पीकर से जागरूकता अभियान भी चला रहा है।
संभागवार आग की घटनाओं के प्रमुख आंकड़े (1 अप्रैल से 24 अप्रैल 2025 तक):
भोपाल संभाग- 20,833
जबलपुर संभाग – 13,448
सागर संभाग – 10,529 मामले
उज्जैन संभाग – 8,694 मामले
ग्वालियर संभाग – 8,648 मामले
इंदौर संभाग – 7,072 मामले
होशंगाबाद संभाग – 5,133 मामले
रीवा संभाग – 3,967 मामले
शहडोल संभाग – 3,270 मामले
चंबल संभाग – 2,065 मामले