सागर में एएसआई बर्खास्त: एएसपी के फर्जी हस्ताक्षर का मामला

asi-dismissed

सागर। मध्यप्रदेश के सागर जिले में पुलिस विभाग के भीतर फर्जी हस्ताक्षर करने का गंभीर मामला सामने आया है। जिले के बहरोल थाना क्षेत्र की सेसई पुलिस चौकी में पदस्थ रहे एक एएसआई को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) के फर्जी हस्ताक्षर करना भारी पड़ गया। इस फर्जीवाड़े के चलते विभाग ने आरोपी एएसआई (asi-dismissed) को सेवा से बर्खास्त कर दिया है।

जानकारी के अनुसार, सेसई पुलिस चौकी प्रभारी रहे एएसआई रामजी राजपूत (asi-dismissed) ने करीब सात माह पहले एक मामले से जुड़ी रिपोर्ट में एएसपी डॉ. संजीव उइके के नाम से फर्जी हस्ताक्षर कर दिए थे। जब रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों तक पहुंची, तो एएसपी ने उस पर अपने हस्ताक्षर देख हैरानी जताई और तत्काल जांच के निर्देश दिए।

फर्जी हस्ताक्षर से खुली गड़बड़ी की परतें

सूत्रों के मुताबिक, एएसआई रामजी राजपूत (asi-dismissed) ने एक अपराध प्रकरण से जुड़ी एफएसएल रिपोर्ट भेजने के लिए ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार की थी। इस ड्राफ्ट रिपोर्ट में उन्होंने एएसपी डॉ. संजीव उइके के फर्जी हस्ताक्षर कर दिए। जब यह रिपोर्ट एएसपी के पास पहुंची, तो उन्होंने पाया कि उस पर किए गए हस्ताक्षर उनके नहीं हैं। इस पर उन्होंने तत्काल वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को शिकायत की।

शिकायत के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए एएसआई को पुलिस लाइन अटैच कर दिया गया और जांच शुरू की गई। प्रारंभिक जांच में ही फर्जी हस्ताक्षर की पुष्टि होने पर यह मामला उच्च अधिकारियों तक पहुंच गया।

एएसपी ने की थी साक्ष्य जांच की सिफारिश

इस मामले की जांच सागर एएसपी लोकेश सिन्हा को सौंपी गई। जांच अधिकारी ने सभी दस्तावेजों और हस्ताक्षरों का मिलान कराया। इसमें यह पाया गया कि एएसपी के नाम से किए गए हस्ताक्षर पूरी तरह फर्जी हैं। जांच रिपोर्ट में एएसआई रामजी राजपूत (asi-dismissed) की गलती स्पष्ट रूप से सिद्ध हुई। इसके बाद डीआईजी सागर रेंज ने विभागीय कार्रवाई करते हुए एएसआई (asi-dismissed) को बर्खास्त करने के आदेश जारी किए।

विभागीय सूत्रों का खुलासा

विभागीय सूत्रों के अनुसार, एएसआई रामजी राजपूत (asi-dismissed) ने बिना अनुमति के ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार की थी और एफएसएल (Forensic Science Laboratory) भेजने की प्रक्रिया को जल्दबाजी में आगे बढ़ाया। इस दौरान उन्होंने औपचारिक स्वीकृति लेने के बजाय अपने स्तर पर एएसपी के हस्ताक्षर खुद कर दिए।

यह दस्तावेज जब आगे प्रक्रिया में गया, तो उस पर संदेह हुआ। एएसपी डॉ. संजीव उइके ने रिपोर्ट की जांच करवाई, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि हस्ताक्षर उनकी जानकारी में नहीं किए गए थे।

पहले भी सामने आ चुका है ऐसा मामला

सागर जिले में इस प्रकार का यह दूसरा मामला है। इससे पहले गोपालगंज थाना क्षेत्र में भी एक पुलिसकर्मी पर फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगा था। हालांकि वह मामला अभी विभागीय जांच में लंबित है और रिपोर्ट आना बाकी है।

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि ऐसे मामलों में पुलिस की साख को ठेस पहुंचती है, इसलिए किसी भी अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई से परहेज नहीं किया जाएगा।

बर्खास्तगी पर पुलिस विभाग का सख्त रुख

सागर पुलिस प्रशासन ने इस घटना को गंभीर अनुशासनहीनता और विभागीय आचार संहिता के उल्लंघन की श्रेणी में माना है। अधिकारी ने कहा कि “इस तरह की हरकतें न केवल सेवा नियमों का उल्लंघन हैं, बल्कि पुलिस की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न लगाती हैं।”

डीआईजी कार्यालय से जारी आदेश में उल्लेख है कि एएसआई रामजी राजपूत (asi-dismissed) द्वारा किए गए फर्जी हस्ताक्षर विभाग की छवि को धूमिल करने वाले हैं, इसलिए उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाता है।

पुलिस महकमे में चर्चा का विषय

इस पूरे प्रकरण के बाद सागर जिले के पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। अधिकारी-कर्मचारी इस बात से हैरान हैं कि एक अनुभवी एएसआई (asi-dismissed) ने इतनी गंभीर गलती कैसे कर दी। इस मामले ने पुलिस दस्तावेजों की सुरक्षा और हस्ताक्षर सत्यापन प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

विभागीय सूत्रों का कहना है कि अब ऐसे मामलों में डिजिटल सिग्नेचर या ई-अनुमोदन प्रणाली को अनिवार्य किए जाने पर भी विचार चल रहा है, ताकि किसी भी स्तर पर फर्जीवाड़े की संभावना न रहे।

यह भी पढ़े सोहागपुर में SIR सर्वे शुरू, कई जगह नहीं पहुंचे परिगणना फॉर्म

कानून व्यवस्था में पारदर्शिता की जरूरत

यह मामला एक बार फिर से दर्शाता है कि पुलिस विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखना क्यों जरूरी है। फर्जी हस्ताक्षर जैसी घटनाएं न केवल कानून व्यवस्था पर आम जनता का भरोसा घटाती हैं, बल्कि विभागीय तंत्र की साख पर भी बुरा असर डालती हैं।

जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि भविष्य में किसी भी दस्तावेज को वरिष्ठ अधिकारियों की डिजिटल मंजूरी के बिना आगे न भेजा जाए। इससे इस तरह की गड़बड़ियों पर अंकुश लगाया जा सकेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!