
सत्याग्रह डेरिया वेयरहाउस में 700 क्विंटल अमानक धान पकड़ी गई, किसान के नाम पर व्यापारी का माल खपाने की कोशिश
सरकारी धान खरीदी व्यवस्था को ध्वस्त करने वाला गंभीर मामला सत्याग्रह डेरिया स्थित वेयरहाउस परिसर से सामने आया है। यहां सेवा सहकारी समिति आंचलखेडा द्वारा संचालित खरीदी केंद्र पर करीब 700 क्विंटल अमानक धान पकड़ी गई, लेकिन हैरानी की बात यह है कि दो दिन बीत जाने के बावजूद न तो कोई ठोस कार्रवाई हुई और न ही जिम्मेदारों के नाम सामने आए।
मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने अमानक धान का पंचनामा तो बना दिया, लेकिन उसके बाद पूरा मामला रहस्यमयी चुप्पी में डूब गया।
किसान का पंजीयन, व्यापारी की धान
सूत्रों के मुताबिक पकड़ी गई अमानक धान किसी राजनीतिक पहुंच रखने वाले व्यापारी की थी, जिसे किसान के पंजीयन के नाम पर सरकारी खरीदी केंद्र पर ठिकाने लगाने की कोशिश की जा रही थी।
सवाल यह है कि—
किसान के नाम पर व्यापारी की धान कैसे पहुंची?
खरीदी केंद्र में गुणवत्ता जांच किसने और कैसे की?
क्या यह सब बिना अंदरूनी मिलीभगत के संभव है?
समिति ने माना पंचनामा, नाम से अनभिज्ञता
सेवा सहकारी समिति के संचालक आर.के. उपाध्याय ने अमानक धान का पंचनामा बनने की बात तो स्वीकार की, लेकिन किसान का नाम नहीं बता पाने की दलील दी।
सबसे बड़ा सवाल यही है कि 700 क्विंटल धान बिना किसान की पहचान के केंद्र तक कैसे पहुंच गई?
जिम्मेदार अधिकारी मौन
मामले में mpwlc (एमपी वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कॉरपोरेशन) के शाखा प्रभारी हेमंत चंदेल से देनवापोस्ट ने कई बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने फोन कॉल का कोई जवाब नहीं दिया। यह चुप्पी संदेह को और गहरा कर रही है।
कार्रवाई क्यों नहीं? किसका संरक्षण?
इतनी बड़ी मात्रा में अमानक धान पकड़े जाने के बावजूद—
न धान जब्त करने की जानकारी
न किसी पर एफआईआर
न समिति या अधिकारियों पर कार्रवाई
क्या राजनीतिक प्रभाव के चलते मामला दबाया जा रहा है?
बड़ा सवाल
क्या सेवा सहकारी समिति आंचलखेडा
केंद्र किसानों के लिए है या राजनीतिक व्यापारियों के लिए सुरक्षित ठिकाना?
अगर इस मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह साफ हो जाएगा कि सरकारी धान खरीदी व्यवस्था सिस्टमेटिक भ्रष्टाचार की गिरफ्त में है।
देनवापोस्ट इस पूरे मामले पर नजर बनाए रखे हुए है।