भोपाल ओवरब्रिज विवाद: हाईकोर्ट बोला– किसी का सिर कटेगा

 

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भोपाल के दाएं कोण वाले रेलवे ओवरब्रिज मामले में सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी की है। इस केस में एक निर्माण कंपनी को मध्य प्रदेश सरकार ने ब्लैकलिस्ट कर दिया था, जिसके खिलाफ कंपनी ने याचिका दायर की है।

मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की पीठ ने सरकार से कहा कि “ब्लैकलिस्ट स्थायी नहीं रह सकती, इसे हटाना ही होगा।”

अदालत की सख्त टिप्पणी

सरकार ने मामले में अतिरिक्त समय की मांग की, जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा—

“हम आपको जितना समय चाहिए देंगे। लेकिन कंपनी क्यों ब्लैकलिस्ट की सजा भुगते? अब आपको यह आदेश वापस लेना ही होगा। क्योंकि अब किसी की बलि चढ़ानी पड़ेगी, जब यह बलिदानी (कंपनी) बाहर है।”

ओवरब्रिज विवाद की पृष्ठभूमि

  • 2021-22 में कंपनी M/s पुणीत चड्डा को भोपाल के ऐशबाग फ्लाईओवर के निर्माण का ठेका दिया गया था।

  • पुल का जनरल अरेंजमेंट ड्रॉइंग (GAD) सरकारी एजेंसी ने जारी किया था।

  • काम 18 महीनों में पूरा होना था।

  • 2023-24 में GAD में संशोधन किया गया और निर्माण कार्य सरकारी निगरानी में हुआ।

ओवरब्रिज सोशल मीडिया पर विवाद

ओवरब्रिज का मोड़ 118–119 डिग्री निकला, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। लोगों ने मजाक उड़ाया कि यह डिजाइन दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है।

जांच और निष्कर्ष

  • सरकार ने जांच समिति बनाई।

  • समिति ने पाया कि राज्य सरकार और रेलवे के बीच समन्वय की कमी थी।

  • ओवरपास के पिलर भी तय दूरी पर नहीं लगाए गए।

  • इसके बाद सरकार ने कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया—बिना सुनवाई का मौका दिए।

याचिकाकर्ता के वकील प्रवीण दुबे ने दलील दी कि ब्लैकलिस्टिंग मनमानी है और कंपनी को ‘बलि का बकरा’ बनाया गया है।

ये भी पढ़े खान बोले– ‘गाय मेरी मां है’, जानिए क्यों नहीं खाते बीफ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!