Bhopal News : पीएम मोदी क्षिप्रा नदी पर 778 करोड़ रुपये के घाट निर्माण कार्य का वर्चुअल करेंगे भूमि पूजन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 मई को भोपाल के जंबूरी मैदान से वर्चुअल माध्यम से ‘नमामि क्षिप्रा परियोजना’ के तहत क्षिप्रा नदी पर घाट निर्माण कार्यों और स्टॉप डैम/बैराज/वेटेड कॉजवे निर्माण का भूमि-पूजन करेंगे। ये कार्य सिंहस्थ-2028 की तैयारियों के अंतर्गत उज्जैन, धार, इंदौर और देवास जिलों में प्रस्तावित हैं। प्रधानमंत्री मोदी 778.91 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले घाटों और 83.39 करोड़ रुपये के जल संरचनाओं (बैराज, स्टॉप डैम, वेटेड कॉजवे) के निर्माण कार्यों की भी आधारशिला रखेंगे। इसके साथ ही 1.39 करोड़ रुपये की लागत से कालियादेह स्टॉप डैम के मरम्मत कार्य का भी भूमि-पूजन किया जाएगा।

29 किलोमीटर तक होगा घाट निर्माण

जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने बताया कि शनि मंदिर से नागदा बायपास तक क्षिप्रा नदी के दोनों तटों पर 29.21 किलोमीटर लंबाई में घाटों का निर्माण होगा। इन घाटों पर स्नान और आवागमन की सुविधा बनाए रखने के लिए वेटेड कॉजवे का निर्माण किया जाएगा। सिंहस्थ-2028 को ध्यान में रखते हुए नदी को अविरल एवं प्रवाहमान बनाए रखने हेतु स्टॉप डैम व बैराज निर्माण और पुरानी संरचनाओं की मरम्मत की योजना तैयार की गई है।

21 नए बैराज और स्टॉप डैम होंगे तैयार

नमामि क्षिप्रा और जल संसाधन विभाग द्वारा क्षिप्रा और कान्ह नदी पर कुल 21 बैराज/स्टॉप डैम का निर्माण प्रस्तावित है। देवास जिले में 7 बैराज जैसे गाजनोद खेड़ा, दखनाखेड़ी, पटाड़ा, रनायर, टिगरियागोगा, सिरोंज, बरोदपिपलिया (लगभग 27 करोड़ रुपये) उज्जैन जिले में 6 स्टॉप डैम जैसे किट्ठोदाराव, पंथपिपलई, जमालपुरा, गोठड़ा, पिपलियाराघौ, रामवासा (लगभग 36 करोड़ रुपये) इंदौर जिले में 6 जल संरचनाएं जैसे ब्राम्हणपिपलिया, दर्जीकराड़िया, कुडाना, कायस्थखेड़ी, साहदा, मेलकलमा बैराज सह पुलिया (लगभग 20 करोड़ रुपये) कालियादेह स्टॉप डैम की मरम्मत उज्जैन नगर निगम द्वारा की जाएगी। इन संरचनाओं से क्षिप्रा नदी में जल प्रवाह नियंत्रित रहेगा, जिससे सिंहस्थ जैसे बड़े आयोजन में लाखों श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं सुनिश्चित की जा सकेंगी।

विकास की दिशा में अहम कदम

यह परियोजना प्रधानमंत्री मोदी के ‘नदी संरक्षण और तीर्थ विकास’ विजन को साकार करने की दिशा में बड़ा कदम है। घाटों के निर्माण और जल संरचनाओं से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा, जल स्तर का नियंत्रण और स्थानीय रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे। सिंहस्थ-2028 को भव्य और व्यवस्थित रूप देने की दिशा में यह परियोजना मील का पत्थर साबित होगी।

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