Bhopal News: राजधानी भोपाल में 29 हजार पेड़ों को बचाने के लिए शहरवासी हुए एकजुट

Bhopal: City residents united to save 29 thousand trees in the capital Bhopal

पेड़ों को बचाने जुटे शहरवासी
– फोटो : सोशल मीडिया

राजधानी भोपाल में मंत्री-विधायकों के बंगले बनाने के लिए करीब 29000 पेड़ों को काटने का प्रस्ताव प्रक्रिया में है। राजधानी में इसे लेकर विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। कांग्रेसी नेताओं के साथ अब रहवासियों ने भी मुहिम छेड़ दी है। शुक्रवार शाम को शिवाजी नगर स्थित नूतन कॉलेज के सामने इन पेड़ों को बचाने के लिए हजारों की संख्या में शहरवासी एकजुट हुए। इस दौरान हाथों में तख्तियां लेकर युवा, बुजुर्ग, बच्चे और महिलाओं ने पेड़ों को बचाने के लिए तरह-तरह के नारे लगाए। शुक्रवार को पेड़ों को रक्षासूत्र बांधकर उनकी पूजा की गई।

इन पेड़ों को बचाने ये भी चला रहे हैं अभियान

गौरतलब है कि बीते एक सप्ताह से तुलसी नगर और शिवाजी नगर में 29 हजार पेड़ों को बचाने के लिए पर्यावरणविद, समाजसेवी और प्रबुद्धजन सोशल मीडिया पर अभियान चला रहे थे। इसी का असर रहा कि शुक्रवार शाम को नूतन कॉलेज के सामने पेड़ों को बचाने के लिए बड़ी संख्या में शहरवासी एकत्रित हुए। इससे पहले भी बीते तीन दिनों से लोग शिवाजी नगर में विभिन्न तरीकों से सांकेतिक प्रदर्शन कर रहे थे।

500 करोड़ रुपये के बराबर एक साल में ऑक्सीजन देते हैं 29 हजार पेड़

कोलकाता में 250 पेड़ काटने के एक मामले में इससे होने वाले नुकसान का आकलन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अलग से एक एक्स्पर्ट कमेटी का पैनल बनाया था। इस पैनल ने फरवरी 2021 में सुप्रीम कोर्ट को जो रिपोर्ट सौंपी, उसके अनुसार एक हेरिटेज पेड़ या बड़ा पेड़ प्रतिवर्ष एक लाख 74 हजार रुपये के बराबर ऑक्सीजन देता है। यदि ये पेड़ सौ साल तक रहता है तो एक करोड़ रुपये से अधिक राशि के बराबर प्राणवायु लोगों को मिलती है। ऐसे में वैज्ञानिक तर्कों और सुप्रीम कोर्ट के आधार पर 29 हजार पेड़ों से 100 साल में करीब 29,000 करोड़ रुपये से अधिक की ऑक्सीजन वायुमंडल को मिलती है।

इतनी ऑक्सीजन होगी खत्म

जानकारों का कहना है कि यदि एक पेड़ 100 फीट लंबा और 18 इंच मोटा है तो यह छह हजार पाउंड ऑक्सीजन प्रतिदिन देता है। इसके अलावा वातावरण में उपस्थित हानिकारक कार्बन डाई ऑक्साइड को भी शोषण करता है। यदि औसत निकाला जाए तो एक बड़ा पेड़ चार लोगों के जीने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन देता है। इस प्रकार यदि 29 हजार पेड़ काटे जाते हैं तो अनुमान के मुताबिक 1.16 लाख लोगों के जीवन भर लेने लायक ऑक्सीजन खत्म हो जाती है।

विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि भोपाल में विकास के नाम पर पेड़ों की बलि दी जा रही है। हालांकि, इन पेड़ों को विस्थापित कर कलियासोत, केरवा व चंदनपुरा आदि जंगलों में लगाने के दावे किए गए, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से इसमें भी सफलता नहीं मिली। इन पेड़ों ने कुछ ही दिनों में दम तोड़ दिया। जबकि अधिकारी पेड़ों के बदले चार गुना तक पौधे लगाने के दावा करते रहे हैं। लेकिन जब ये बड़े होकर पेड़ बनेंगे तब तक तो पर्यावरण का काफी नुकसान हो चुका होगा। शहर की हरियाली धीरे-धीरे उजड़ जाएगी।

भोपाल में इन परिजयोनाओं के लिए काटे जा चुके पेड़

स्मार्ट सिटी के निर्माण में 6,000
बीआटीएस कॉरिडोर 3,000
सीबीडी, टीटी नगर 3,000
शौर्य स्मारक, अरेरा हिल्स 2,000
विधायक आवास बनाने 1,150
सिंगारचोली सड़क निर्माण और चौड़ीकरण 1,800
हबीबगंज स्टेशन निर्माण 150
खटलापुरा से एमवीएम कॉलेज तक सड़क चौड़ीकरण 200
मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए 3,000
तीसरी रेल लाइन 8,000
कोलार सिक्सलेन 4,000
रातीबड़-भदभदा रोड 1,800

मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री लिखे जा रहे हैं पत्र

पर्यावरण प्रेमी उमाशंकर तिवारी ने बताया कि एक तरफ सरकार पर्यावरण संरक्षण के नाम पर हर वर्ष लाखों पेड़ लगा रही है। इनका संरक्षण करने वालों को पुरष्कृत किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर सरकार मंत्री और विधायकों के बंगले बनाने के लिए 29 हजार पेड़ों की बलि देना चाहती है। यदि सरकार हमारी बात नहीं मानती है, तो हमें इन पेड़ों को बचाने के लिए उग्र प्रदर्शन करना पड़ेगा। तिवारी ने बताया कि अब तक वो इन पेड़ों को बचाने के लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, नगरीय प्रशासन मंत्री और एनजीटी समेत एक दर्जन से अधिक स्थानों पर शिकायत पत्र भेज चुके हैं।

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