पटना में डाकबंगला चौक पर जुटे भारत बंद के समर्थक और सामने से रास्ता रोके पुलिस
बंद को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दो सहयोगी दलों के केंद्रीय मंत्री ही आमने-सामने हैं जिससे बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की गांठ खुल गई है। लोजपा-रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान जहां बंद के समर्थन में हैं वहीं हम नेता जीतनराम मांझी इसके खिलाफ हैं। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने पहले ही कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महादलित और अति पिछड़ी जाति का आरक्षण अलग करने जैसे कदम पहले ही उठाए हैं। बंद को तेजस्वी यादव की राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने नैतिक समर्थन दिया है। मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) बंद में सक्रिय है। कई जगह बसपा कार्यकर्ता पार्टी का झंडा लेकर सड़कों पर दिख रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में उन जातियों को आरक्षण का लाभ देने की व्यवस्था करने कहा है जिन्हें इसका बहुत लाभ नहीं मिल पा रहा है। फैसले के समर्थक कह रहे हैं कि कोटा का फायदा कुछ जातियों को ज्यादा मिल रहा है। जीतनराम मांझी कहते हैं कि सिर्फ चार जाति जो 5 परसेंट हैं, सारा फायदा उठा रही हैं जबकि 10 परसेंट बाकी दलितों को गिने-चुने मौके ही मिले हैं। चिराग पासवान जैसे नेता जो फैसले का विरोध कर रहे हैं वो हाल में दलित आईपीएस की बारात पुलिस सुरक्षा में निकालने का हवाला देकर कह रहे हैं कि एससी-एसटी को आरक्षण आर्थिक नहीं छुआछूत के आधार पर मिला है जो आज भी जारी है।