बड़वानी। जनपद पंचायत पाटी के तत्कालीन सीईओ निलेश नाग के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वत मांगने का गंभीर मामला दर्ज किया है। आरोप है कि उन्होंने पंचायतों में हुए निर्माण कार्यों की जांच नहीं करने के एवज में 10-10 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। यह कार्रवाई पुलिस महानिदेशक लोकायुक्त योगेश देशमुख के निर्देश पर की गई है।
शिकायत और सबूत
ग्राम पंचायत कंदरा के सचिव मोती खरते और ग्राम पंचायत लिंबी के सचिव कैलाश सोलंकी ने लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक इंदौर राजेश सहाय को शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि सीईओ निलेश नाग ने दोनों से जांच में ढिलाई बरतने के बदले भारी रिश्वत की मांग की। सचिवों ने निलेश नाग से हुई मोबाइल वार्ता रिकॉर्ड कर उसे पेन ड्राइव में लोकायुक्त पुलिस को सौंपा।
जांच में रिश्वत की मांग साबित
शिकायत की जांच उप पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त इंदौर सुनील तालान को सौंपी गई। उन्होंने बताया कि रिकॉर्डिंग और तथ्यों के आधार पर निलेश नाग द्वारा रिश्वत मांगने के आरोप प्रमाणित पाए गए। इसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम संशोधन 2018 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है।
जयस का आंदोलन
करीब एक माह पहले इस मामले से जुड़ा एक ऑडियो वायरल होने पर आदिवासी संगठन जयस ने जिला पंचायत कार्यालय के बाहर बेमियादी धरना दिया था। संगठन ने चक्काजाम और रैली कर आरोपियों पर कार्रवाई तथा विशेष जांच दल (SIT) से जांच की मांग उठाई थी। जयस नेताओं का आरोप था कि जिला पंचायत सीईओ काजल जावला भी जांच के नाम पर अवैध वसूली करती हैं।
जिला पंचायत सीईओ ने लगाए आरोपों को खारिज किया
धरने के बाद तत्कालीन पाटी सीईओ निलेश नाग को कलेक्ट्रेट में अटैच कर दिया गया। वहीं, जिला पंचायत सीईओ काजल जावला ने स्वयं पर लगे आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि कार्रवाई पूरी तरह निष्पक्ष है। उनके अनुसार, जिन सरपंचों और ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज हुई, वे पहले से गबन और अनियमितताओं में दोषी पाए गए थे।
आगे की कार्रवाई पर निगाहें
लोकायुक्त की रिपोर्ट के बाद अब सवाल उठ रहा है कि क्या निलेश नाग और अन्य अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी तथा क्या जयस की मांग के अनुसार विशेष जांच दल गठित किया जाएगा। फिलहाल, मामले की विवेचना लोकायुक्त पुलिस कर रही है।