स्थानांतरण आदेश पर लगी रोक: शिक्षिका को राहत, हाईकोर्ट ने सुनवाई का अवसर देने के निर्देश दिए

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक शिक्षिका के स्थानांतरण आदेश पर 30 दिनों की अंतरिम राहत प्रदान करते हुए निर्देश दिया है कि यदि याचिकाकर्ता तय समय सीमा में नया अभ्यावेदन प्रस्तुत करती हैं, तो स्थानांतरण की वैधता पर निर्णय सुनवाई के बाद लिया जाए।

प्रकरण के अनुसार, याचिकाकर्ता शासकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय सांगाखेड़ा खुर्द, जिला नर्मदापुरम में कार्यरत हैं। उन्हें 07 जून 2025 के आदेश (अनुलग्नक पी-1) के तहत जिला हरदा के गहल विद्यालय स्थानांतरित किया गया था। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी कि स्थानांतरण के बाद सांगाखेड़ा स्कूल में वे अकेली शिक्षिका थीं, और वहाँ कोई शिक्षक शेष नहीं रहेगा, जिससे बच्चों की शिक्षा बाधित होगी।राज्य शासन की ओर से प्रस्तुत जवाब में बताया गया कि यह आदेश प्रशासनिक आवश्यकता के आधार पर जारी किया गया था। हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता 7 कार्यदिवसों के भीतर लोक शिक्षण आयुक्त के समक्ष नया अभ्यावेदन प्रस्तुत करती हैं, तो आयुक्त को यथोचित सुनवाई के अवसर के साथ तीन सप्ताह के भीतर सुविचारित आदेश पारित करना होगा।

महत्वपूर्ण निर्देश:

30 दिनों तक या अभ्यावेदन पर निर्णय तक, याचिकाकर्ता को वर्तमान विद्यालय में कार्यरत रहने की अनुमति दी गई है।

यदि याचिकाकर्ता द्वारा 7 दिन के भीतर अभ्यावेदन प्रस्तुत नहीं किया जाता, तो यह आदेश स्वतः अप्रभावी हो जाएगा।

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