एडवोकेट तिवारी का कहना है कि यह बयान भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना और नागरिकों की स्वतंत्रता के खिलाफ है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या कर्तव्य पर तैनात सैनिक, डॉक्टर, पुलिसकर्मी या अन्य नागरिक जो कुंभ में नहीं आ सके, उन्हें देशद्रोही कहा जा सकता है? तिवारी ने यह भी तर्क दिया कि जब सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणियों पर एफआईआर दर्ज हो सकती है, तो सार्वजनिक मंच से भड़काऊ बयान देने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती?
इससे पहले उन्होंने 4 फरवरी को शहडोल के सोहागपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी और बाद में पुलिस अधीक्षक को भी ज्ञापन सौंपा था। पुलिस कार्रवाई न होने पर उन्होंने न्यायालय का रुख किया और पंडित शास्त्री के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की। अदालत ने अब इस पर संज्ञान लेते हुए समन जारी किया है।