
नर्मदापुरम।मध्यप्रदेश में रिश्वतखोरी अब कोई खबर नहीं रह गई है, लेकिन हर बार पकड़े जाने वाले बाबुओं की हालत देखकर लोग यही कहते हैं – “लो, एक और गिरे।” ताज़ा मामला नर्मदापुरम के लोक निर्माण विभाग (PWD) का है, जहां अधीक्षण यंत्री कार्यालय के क्लर्क साहब 12 हजार की रिश्वत मांगकर फंस गए। गुरुवार को लोकायुक्त टीम ने उन्हें 7 हजार रुपए लेते ही रंगे हाथ धर दबोचा।
बाबू की डील – “3.46 लाख रिलीज, 12 हजार की फीस”
फरियादी ठेकेदार अवधेश पटेल अपनी एफडी और जमा राशि 3.46 लाख रुपए छुड़वाने की जद्दोजहद में था। बाबू जी ने बड़े इत्मिनान से कहा – “काम हो जाएगा, लेकिन फाइलें मुफ्त में नहीं दौड़तीं। 12 हजार रुपए का इंतजाम करो।”
ठेकेदार ने सोचा, काम के लिए देना ही पड़ेगा, पर भीतर-ही-भीतर उसने खेल पलटने की ठान ली। सीधे लोकायुक्त के दरबार पहुंचा और शिकायत दर्ज करा दी।
लोकायुक्त का फिल्मी ऑपरेशन
गुरुवार को जैसे ही बाबू ने दफ्तर के संभागीय लेखा कक्ष में 7 हजार रुपए की गड्डी हाथ में ली, लोकायुक्त की टीम अंदर घुस आई। दृश्य बिल्कुल वैसे ही था जैसे किसी फिल्म में विलेन पैसे गिन रहा हो और अचानक दरवाज़ा टूटते ही पुलिस चीख पड़े – “हाथ ऊपर!”
बाबू का चेहरा उतर गया
कहते हैं बाबू का चेहरा उस समय देखने लायक था। कुछ पल पहले तक जो मुस्कान 7 हजार गिनते हुए चमक रही थी, वह अचानक ऐसे गायब हुई मानो बिना नमक की खिचड़ी। दफ्तर के बाकी बाबू-कर्मचारी भी खिसियानी बिल्ली की तरह इधर-उधर ताकते रह गए।
दफ्तर में चर्चा – “अब किसकी बारी?”
लोकायुक्त की दबिश ने पूरे PWD कार्यालय में भूचाल ला दिया। जिस दफ्तर में रोज चाय-नाश्ते के साथ गप्पें लगती थीं, वहां अब बस एक ही चर्चा है – “किसी और की फाइल पर भी तो हाथ रंगे हुए हैं, अगली बारी किसकी?”
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में केस दर्ज
लोकायुक्त ने आरोपी क्लर्क पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है। अब बाबू साहब को दफ्तर की कुर्सी छोड़कर कोर्ट-कचहरी की बेंचों पर बैठना पड़ेगा।
नर्मदापुरम के लोग कह रहे हैं – “अगर हर बार लोकायुक्त इसी तरह दबिश दे, तो शायद दफ्तरों में काम ‘बिना पैसे’ भी होने लगे। वरना अभी तक तो फाइलें तभी चलती थीं, जब जेब से नोट फिसलते थे।”