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मध्यप्रदेश में एक प्राइवेट बैंक बंद हो गया है। उपभोक्ताओं की बैंक में जमा करोड़ों की रकम डूब गई है। अशोकनगर में यह वारदात हुई है जहां इलाके के बड़े प्राइवेट बैंक में ताला लग गया है। उपभोक्ता बैंक में जमा कराई अपनी ही रकम लेने के लिए भटक रहे हैं। मामले का खुलासा तब हुआ जब एक कारोबारी ने पुलिस को शिकायत की। कारोबारी ने पिछले तीन साल में बैंक में लाखों रुपए जमा किए पर न अब मैनेजर मिल रहे हैं और न ही बैंक के कलेक्शन एजेंट दिखाई दे रहे हैं। इधर पुलिस मामले की जांच की बात कह रही है।
अशोकनगर में प्राइवेट बैंक के रूप में काम कर रहे लस्टीनेस जनहित क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड का बड़ा कारनामा सामने आया है। बैंक कर्मचारियों ने उपभोक्ताओं को रोजाना राशि जमा कराने पर अच्छे ब्याज का लालच दिया। इससे कई लोग फंस गए और खासी राशि जमा करा दी। अब बैंक में ताला लग गया है। मैनेजर व अन्य कर्मचारी उपभोक्ताओें के साथ धोखाधड़ी कर गायब हो गए हैं। लोगों के करोड़ों रुपए डूब गए हैं।
बताया जा रहा है कि लस्टीनेस जनहित क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी शहर में 2016 से पैसे जमा कराने का काम कर रही है। जिला अस्पताल चौराहा पर चाय का ठेला लगाने वाले हिनोतिया फूट गांव निवासी कृष्णपाल यादव ने कोतवाली में बैंक की शिकायत करते हुए कारस्तानी उजागर की।
पुलिस को की गई शिकायत में बताया गया है कि लस्टीनेस जनहित क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के कर्मचारियों ने अपनी बैंक में रोजाना राशि जमा कराने की सलाह दी और उस जमा पर ब्याज का भी लालच दिया। इससे कृष्णपाल यादव ने दो खाते खुलवा लिए, एक खाते में एक साल तक 500 रुपए रोज जमा कराकर 1.80 लाख रुपए जमा करा लिए। दूसरे खाते में भी 400 रुपए रोजाना के हिसाब से 3.08 लाख रुपए जमा करा लिए। बाद में रुपए लौटाने से इंकार कर दिया।
शिकायतकर्ता कृष्णपाल यादव का कहना है कि लस्टीनेस जनहित क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड बैंक के शहर में 20 कलेक्शन एजेंट काम करते थे जो रोज दुकानदारों व लोगों से रुपए जमा कराते थे। उसकी एक साल वाली योजना की समय अवधि अक्टूबर 2024 में पूरी होने पर जब वह राशि वापस लेने गया तब न तो कोई कलेक्शन एजेंट मिला और न ही मैनेजर व अन्य कर्मचारी मिल रहे हैं। वहीं बैंक में भी ताला लगा दिया गया है। इसके बाद उसे अपने साथ हुई धोखाधड़ी का पता चला।
बड़ी रकम का हो सकता है खुलासा
शिकायतकर्ता कृष्णपाल यादव का कहना है कि सिर्फ उसी के खाते नहीं, बल्कि शहर के कई दुकानदारों व लोगों के इस बैंक में खाते खुले थे। इनसे रोजाना एक निर्धारित राशि जमा कराई जाती थी। कई लोग पहले भी थाने में शिकायत कर चुके हैं, लेकिन समय अवधि पूरी हो जाने के बावजूद भी अब तक राशि वापस नहीं मिली।
शिकायतकर्ता का दावा है कि शहर में इस तरह से बैंक ने लोगों की बड़ी रकम जमा कराई है जो करोड़ों में हो सकती है। बैंक कर्मचारी पहले ही सभी को धमका चुके हैं कि यदि शिकायत की तो रुपए वापस नहीं किए जाएंगे।
इधर अशोकनगर कोतवाली प्रभारी मनीष शर्मा के मुताबिक हमारे पास एक व्यक्ति ने अपने दो खातों की शिकायत की है। हमने उससे ऐसे अन्य लोगों को भी एकत्रित करने की बात कही है, ताकि इसकी वास्तविक जानकारी मिल सके। शिकायत पर जांच की जा रही है।