हाई कोर्ट में मामला लगने के बाद पुलिस विभाग को हाई कोर्ट से आदेश भी जारी किए गए, लेकिन उस आदेश से विभाग संतुष्ट नहीं हुआ और मामला निरंतर चलता रहा। वर्ष 2024 में पुलिस आरक्षक मिथिलेश पांडे के बेटे अभिषेक पांडे ने वकालत की डिग्री हासिल करने के पश्चात जबलपुर हाई कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। इसके साथ ही उन्होंने सर्वप्रथम अपने पिता मिथिलेश पांडे का केस हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी के समक्ष प्रस्तुत किया, जिसे न्यायमूर्ति ने स्वीकार किया। अधिवक्ता अभिषेक पांडे ने अपने पिता के खिलाफ लगे तमाम आरोपों को हाई कोर्ट के समक्ष जिरह के माध्यम से खारिज करवाया और आदेश को निरस्त करने में सफलता प्राप्त की।
आरक्षक मिथिलेश पांडे को नौकरी पर पुनः बहाल करने के लिए न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की बेंच ने आदेश दिया, जिसके बाद अनूपपुर पुलिस अधीक्षक ने उन्हें पुनः सेवा में बहाल किया। 5 अप्रैल को आरक्षक मिथिलेश पांडे ने अनूपपुर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। 11 साल की लंबी लड़ाई के बाद बेटे ने अपने पिता को न्याय दिलाया और पांडे परिवार में एक बार फिर खुशियां लौट आईं। इस अवसर पर आरक्षक मिथिलेश पांडे के निवास पर स्थानीय लोगों ने उन्हें बधाई दी।