अनूपपुर (मध्यप्रदेश) :
कोतमा पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 45 लाख रुपये की साइबर ठगी में शामिल एक शातिर ठग सौरभ शर्मा (32 वर्ष) को विदिशा से गिरफ्तार किया है। यह ठगी पिछले 8 वर्षों से लगातार की जा रही थी, जिसमें ठगों ने खुद को सीबीआई अधिकारी, हाईकोर्ट वकील, पुलिस अफसर और जज बताकर व्यापारी को डिजिटल रूप से ‘अरेस्ट’ कर रखा था।
मामला क्या है?
पीड़ित आशीष ताम्रकार (53 वर्ष), जो कोतमा निवासी और भाजपा नेता अवधेश ताम्रकार के पुत्र हैं, एक इलेक्ट्रॉनिक व्यवसायी हैं और वायदा बाजार में निवेश करते हैं। वर्ष 2017 में उन्हें वायदा कारोबार से 23 लाख रुपये मिलने थे, जिसकी जानकारी एक साइबर ठग गिरोह को लग गई।
इसके बाद एक व्यक्ति ने गौरव राजपूत के नाम से खुद को वायदा बाजार से जुड़ा बताकर संपर्क किया और धीरे-धीरे अन्य सदस्यों ने खुद को अलग-अलग कानूनी पदों पर बताते हुए डराना शुरू किया।
कैसे करते थे ठगी?
गिरोह के सदस्यों ने अलग-अलग फोन नंबर्स से कॉल कर कभी खुद को CBI अफसर, कभी जज या हाईकोर्ट वकील बताया।
वे वीडियो कॉल्स के माध्यम से पुलिस सायरन, नकली वर्दी और फर्जी ID कार्ड दिखाते हुए व्यापारी को धमकाते थे कि उसकी रकम हवाला की है और वो किसी भी वक्त गिरफ्तार हो सकता है।
डर के कारण ताम्रकार ने अलग-अलग बैंक खातों में कुल मिलाकर 45 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
इस साइबर गिरोह का मुख्य सरगना महेंद्र शर्मा (26 वर्ष) था, जिसकी वर्ष 2022 में चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। गिरोह का एक अन्य सदस्य रवि डेहरिया की भी दो माह पूर्व सड़क दुर्घटना में मौत हो गई।
गिरफ्तार आरोपी सौरभ शर्मा विदिशा में रहता है और साइबर ठगी के साथ-साथ जमीन दलाली और निजी ठेकेदारी में भी सक्रिय था।
ठगों ने भोपाल में ‘आर.बी. ट्रेडर्स’ और ‘तिरुपति फिनटेक’ नामक फर्जी कंपनियां बनाई थीं, जिनके माध्यम से वे खुद को प्रतिष्ठित व्यवसायी और कानूनी संस्था से जुड़ा हुआ बताते थे।
जब भोपाल में इनकी गतिविधियों की भनक लगी, तो वे विदिशा शिफ्ट हो गए।
पुलिस कार्रवाई
आशीष ताम्रकार ने जब कोतमा थाने और पुलिस अधीक्षक मोती उर रहमान से शिकायत की, तो मामले को गंभीरता से लेते हुए दो विशेष टीमों का गठन किया गया।
पुलिस ने विदिशा से सौरभ शर्मा को गिरफ्तार किया और उसके पास से लैपटॉप, मोबाइल और कई दस्तावेज भी जब्त किए हैं।
सौरभ शर्मा के खिलाफ IPC की धारा 419 (प्रतिरूपण), 420 (धोखाधड़ी), और 34 (साझा अपराध) के तहत केस दर्ज किया गया है। न्यायालय ने उसे चार दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।
पुलिस टीम की सराहनीय भूमिका
इस कार्रवाई में थाना प्रभारी रत्नांबर शुक्ला, विवेचक श्यामलाल मरावी, और पुलिसकर्मी लालजी श्रीवास्तव, रामखेलावन यादव, मनोज उपाध्याय, राजेंद्र अहिरवार और पंकज मिश्रा की अहम भूमिका रही।
एसपी मोती उर रहमान का कहना है कि
“8 वर्षों से डिजिटल अरेस्ट में फंसे व्यापारी को मुक्त कराया गया है। आरोपी बेहद शातिर है और उससे पूछताछ जारी है।”