महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री रहते हुए शंकर राव चव्हाण ने 60-40 का फार्मूला निकाला था जिससे अन्य फसलों को पानी की कमी न हो, हालांकि इस फैसले के लिए चीनी मिल मालिक उनसे चिढ़ गए थे।
लेकिन उनके पुत्र, जो खुद भी मुख्यमंत्री बने, उन्होंने कभी भी इस किस्म साहस नहीं दिखाया और वे शरद पवार से हमेशा डरते रहे, यहां तक कि उनके कांग्रेस छोड़ने के बाद भी वे उनसे इस मुद्दे पर आंख नहीं मिला पाए। दूसरे मराठा नेता विलास राव देशमुख को भी अशोक चव्हाण कभी चुनौती नहीं दे पाए।
विलासराव देशमुख की मौत के बाद अशोक चव्हाण संभवत: आखिरी कांग्रेस नेता थे जिन्हें जमीन से जुड़ा हुआ माना जा सकता है, हालांकि उनमें विलासराव वाली प्रतिभा नहीं था। लेकिन स्थितियों के चलते वे पार्टी हाई कमान के नजदीक आ गए, हालांकि आदर्श सोसायटी घोटाले में उनका नाम प्रमुखता से आया था। फिर भी दिल्ली की लीडरशिप ने उनका साथ दिया।
लेकिन, अशोक चव्हाण की यही कायरता अब खुलकर आम लोगों के सामने आ गई है, जो अभी तक सिर्फ उनके नजदीकी लोगों की ही जानकारी में थी। देश में ईडी के छापों में अभी इतनी भी तेजी भी नहीं आई थी, कि अशोक चव्हाण बीजेपी सरकार द्वारा जेल भेजे जाने के खौफ में आ चुके थे।