संजय सिंह ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नेतृत्व परिवर्तन का कोई सवाल ही नहीं है। अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री थे, हैं और आगे भी रहेंगे। दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री चुना है। इसलिए पार्टी का आधिकारिक बयान है कि अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री हैं और आगे भी रहेंगे। हमारे जनता के बीच सर्वे का परिणाम भी यह कहता है। यदि तिहाड़ में सुब्रतो राय सहारा को जेल से ऑफिस चलाने की मंजूरी मिली थी तो क्या दो करोड़ की जनता द्वारा चुने गए मुख्यमंत्री को यह सुविधा नहीं मिलनी चाहिए। पार्टी मुझे जो भूमिका सौंपेगी उसे निभाऊंगा।
संजय सिंह ने केजरीवाल की गिरफ्तारी के पीछे साजिश का आरोप लगाते हुए कहा कि लोगों की केजरीवाल के प्रति सहानुभूति है। केजरीवाल की गिरफ्तारी से पार्टी कार्यकर्ताओं को और अधिक मेहनत से काम करने की ताकत मिली है। कार्यकर्ता केजरीवाल की कमी को भरने की कोशिश कर रहे हैं। यदि नरेन्द्र मोदी जीत को लेकर आश्वस्त होते तो उन्होंने ऐसा नहीं किया होता। कांग्रेस के बैंक खाते फ्रीज करना, मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करना, उनमें डर है। भाजपा चुनाव हार रही है। वे डर के कारण ऐसा कर रहे हैं। यदि आप तानाशाही की यह प्रथा शुरू कर रहे हैं तो यह अच्छी बात नहीं है।
संजय सिंह ने कहा कि तिहाड़ में शुरुआती 11 दिन काफी कठिन थे। मैं एक छोटी सी कोठरी के अंदर था और मुझे बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। मैं पुलिस सुरक्षा में था। इसके बाद, मैंने जेल प्रशासन से मांग की कि मुझे एक सामान्य कैदी के रूप में अधिकार दिए जाएं। इसके बाद मुझे पुलिस सुरक्षा में निश्चित समय पर बाहर जाने की अनुमति दी गई। जेल प्रशासन ने मुझे निश्चित समय पर संगीत कक्ष, बैडमिंटन कोर्ट में जाने की अनुमति देने का फैसला किया। साथ ही भोजन के मसलों का भी समाधान किया गया। चूंकि मेरे पास मोबाइल फोन नहीं था, इसलिए मैंने जेल के समय का इस्तेमाल किताबें पढ़ने में किया।
संजय सिंह ने कहा- मैंने छह महीनों के दौरान नेल्सन मंडेला, महात्मा गांधी, राम मनोहर लोहिया, भगत सिंह की रचनाएं पढ़ीं। मैंने 6 महीने में उतना पढ़ा जितना 6 साल में नहीं पढ़ पाया। तिहाड़ में छह महीने बिताने के बाद मेरा मनोबल काफी मजबूत हो गया है। यह मेरी आगे की लड़ाई को मजबूती देगा। यह पूछे जाने पर कि उनके परिवार ने उनकी गैर मौजूदगी को कैसे संभाला, संजय सिंह ने कहा कि उन्होंने बहादुरी से समय बिताया और परिवार को मजबूत रहने के लिए भी सलाह दी। किसी भी परिवार के लिए ऐसी स्थिति कठिन होती है।
संजय सिंह ने कहा- मैं अपने परिवार को जेल के किस्सों या किसी मजेदार घटना से खुश करने की कोशिश करता था। पहले दिन परिवार के लोगों ने मुझसे पूछा कि आप कैसे हैं। आपकी तबीयत कैसी है। मैंने उनसे कहा कि वे हमेशा मुझसे पूछें ‘जेल वाले कैसे हैं। किसी को भी रोना नहीं था। यह रिकॉर्ड किया जा रहा है। उनको रोता देख या मुझे उदास देख शीर्ष पर बैठे लोग खुश होंगे। मुझे ज्यादातर समय जेल नंबर दो में रखा गया था, लेकिन बाद में मुझे जेल नंबर 5 में भेज दिया गया था। मैं 24 घंटे सीसीटीवी की निगरानी में था। सवाल यह है कि हम मजबूती से कैसे खड़े रह सकते हैं? मैं बहुत सतर्क था। मुझे पता था कि कैदियों और उनके परिवारों के बीच होने वाली वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रिकॉर्ड की जाती है।