
माखननगर। सर्रा केसली प्राथमिक स्कूल आजकल पूरे ब्लॉक में चर्चा का विषय बना हुआ है। वजह भी खास है—यहाँ पूरे स्कूल में एक विद्यार्थी है और उसके लिए एक अलग शिक्षक! जी हाँ, यह वही अनोखा “वन टू वन कोचिंग मॉडल” है, जिसे बड़े-बड़े कोचिंग संस्थान भी देखकर शर्मिंदा हो जाएँ।
जनशिक्षक चंद्रशेखर मोरे ने एक साल पहले ही BRC कार्यालय को पत्र लिखकर इस स्कूल को मर्ज करने की सिफारिश कर दी थी। लेकिन, विभागीय फाइलें शायद इतनी लंबी छुट्टी पर चली गईं कि आज तक लौटकर नहीं आईं। शिक्षा विभाग की कार्यशैली ऐसी है जैसे कह रहा हो—“जल्दी क्या है, बच्चा तो अकेला है, भाग थोड़ी जाएगा!”
शिक्षक राजेंद्र राजपूत साहब भी गज़ब किस्मत वाले हैं। उन्हें न तो शोर-शराबे से जूझना पड़ता है और न ही क्लास कंट्रोल करना पड़ता है। बस एक विद्यार्थी के लिए ‘स्पेशल क्लास’। यह तो शिक्षा का ‘VIP सेक्शन’ हो गया।
उधर, ब्लॉक के अन्य स्कूलों में छात्र तो भरपूर हैं लेकिन शिक्षक नदारद। वहाँ बच्चे खुद ही एक-दूसरे को पढ़ाते हैं और अध्यापक सिर्फ नाम के लिए टंगे हैं। लगता है विभाग ने शिक्षकों को बाँटने की जगह लॉटरी सिस्टम शुरू कर दिया है।
BRC श्याम सिंह पटेल का कहना है कि उन्होंने सर्रा केसली के साथ-साथ धमासा टोला और गाजनपुर के स्कूलों का प्रस्ताव बनाकर DEO कार्यालय भेज दिया है। अब गेंद पूरी तरह DEO के पाले में है। लेकिन DEO महोदय कब गोल मारेंगे, यह रहस्य ही बना हुआ है।
गाँव वाले हँसते हुए कहते हैं—“सर्रा केसली वाला स्कूल तो असल में VIP स्कूल है, जहाँ एक-एक बच्चे को प्रधानाध्यापक स्तर का ध्यान मिलता है। काश, हमारे बच्चों को भी ऐसी ‘लक्ज़री क्लास’ मिल जाती!”